सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को आदेश दिया है कि वह हैदराबाद के 100 एकड़ बचे हुए जंगल को दो महीने में पुनर्स्थापित करे, नहीं तो सरकार के ऊपर जेल की सजा का प्रावधान लागू होगा। जानिए पूरा घटनाक्रम और आगे का रोडमैप।
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🌳 क्या है पूरा मामला?
तेलंगाना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हैदराबाद में कट चुके 100 एकड़ जंगल के पुनर्स्थापन को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि:
2 महीने के अंदर प्रभावित क्षेत्र में युविकरन (rejuvenation) और रीस्टोरेशन का काम पूरा हो।
अगर आदेश की अवहेलना हुई, तो सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को जेल सजायुक्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
यह सुनवाई हाल ही में किया गया था, जहाँ मुख्य न्यायमूर्ति की बेंच ने पर्यावरण संरक्षण कानूनों का उल्लंघन मानते हुए यह आदेश पारित किया।
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🌱 क्यों है ये जंगल इतना महत्वपूर्ण?
जल और जलाशय संरक्षण: पश्चिमी घाट की ढलान से पानी का रिसाव रोकता है।
हवा की गुणवत्ता में सुधार: मणपल्लि जंगल क्षेत्र से शहर में ताजी हवा मिलती है।
जैवविविधता का अभयारण्य: अनेक दुर्लभ पक्षी एवं वन्यजीव यहाँ पाए जाते हैं।
शहरी गर्मी पर नियंत्रण: “हीट आइलैंड इफेक्ट” कम करता है और तापमान को संतुलित रखता है।
इन कारणों से पर्यावरण विशेषज्ञ इसे “हैदराबाद की फेफड़े” कहते आए हैं।
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⚖️ कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
1. Environment Protection Act, 1986 के तहत राज्य सरकार जिम्मेदार है।
2. हरियाणा निर्णयों की याद दिलाई गई, जहाँ कोर्ट ने अवैध निर्माण हटाने पर जेल की चेतावनी दी थी।
3. तेलंगाना को 60 दिनों में एक्शन प्लान जमा करने का निर्देश।
4. नॉन-कोम्प्लाइंस पर व्यक्तिगत और अधिकारियों के खिलाफ जेल सजा का लेखा-जोखा तय करना।
न्यायालय ने स्पष्ट कहा: “पर्यावरण संरक्षण में देरी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।”
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🔄 राज्य सरकार का रुख और चुनौतियाँ
तेलंगाना सरकार ने दो मंत्रालयों को जिम्मेदारी सौंपी है—वन विभाग और शहरी विकास प्राधिकरण। चुनौतियाँ:
फंड और संसाधन अलॉटमेंट: बजट आवंटन समय पर नहीं हुआ।
भूमि स्वामित्व विवाद: कुछ हिस्सों में प्राइवेट प्लॉट अवैध थे।
टेक्निकल विशेषज्ञता की कमी: रीस्टोरेशन के लिए विशेषज्ञ टीमों का अभाव।
इन सब पर अब कोर्ट की नजर है, और हर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी जा रही है।
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✅ जरूरी कदम (Action Plan)
मृदा उपचार: कटे पेड़ों की जगह मूल प्रजाति के पौधे रोपना।
वाटर हार्वेस्टिंग: बरसाती पानी संचित कर रीचार्ज करना।
जागरूकता अभियान: स्थानीय निवासियों को पर्यावरण सुरक्षा में जोड़ना।
सख्त निगरानी: ड्रोन और सैटेलाइट मॉनिटरिंग से हफ्तावार अपडेट।
इंटरनल लिंकिंग: “हमारी पेड़-पौधा गाइड” और “स्थानीय पर्यावरण कानून” वाली लेखों से जोड़ें।
यह प्लान न सिर्फ कोर्ट के आदेश के अनुरूप है, बल्कि दीर्घकालीन स्थिरता भी सुनिश्चित करेगा।
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🌐 इम्पैक्ट: पड़ोसी राज्यों के लिए उदाहरण
केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसी सरकारें पहले ही वन पुनर्स्थापन में आगे हैं। तेलंगाना का यह कदम पूरे देश में “हरी क्रांति” की अगुआई कर सकता है।
टूरिज्म बूम: हरित बेल्ट के कारण इको-टूरिज्म को बढ़ावा
क्लाइमेट रेजिलिएंस: बाढ़ और गर्मी की लहरों से लड़ने में मदद
स्थानीय रोजगार: नर्सरी, मिट्टी विश्लेषण, पेड़-पौधा देखभाल में नौकरी