इंटरफेथ मैरिज पर ट्रैजेडी: 23 साल की मुस्लिम युवती की हत्या ने उठाए समाज और कानून पर गंभीर सवाल

एक मुस्लिम पिता द्वारा अपनी बेटी की निर्मम हत्या – क्या भारत में अंतरधार्मिक विवाह आज भी सामाजिक अपराध माने जाते हैं? जानिए इस संवेदनशील मुद्दे की पूरी सच्चाई।

 

 

 

एक प्रेम कहानी जो ट्रैजेडी में बदल गई

 

हाल ही में भारत के एक शहर में ऐसा दर्दनाक मामला सामने आया जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 23 वर्षीय मुस्लिम युवती, जिसने एक हिंदू युवक से प्रेम विवाह किया था, को उसके ही पिता ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारे समाज की गहरी सोच और धार्मिक कट्टरता का आईना है।

 

 

 

क्या कहते हैं मामले के तथ्य?

 

मृतका ने 6 महीने पहले लव मैरिज की थी, वह भी अपनी मर्जी से।

 

युवक हिंदू था और दोनों वयस्क थे, कानूनन उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था।

 

परिवार वालों को यह विवाह मंजूर नहीं था, खासकर युवती के पिता को।

 

NDTV और ANI की रिपोर्ट्स के अनुसार, पिता ने गुस्से में आकर बेटी की हत्या कर दी।

 

भारत में अंतरधार्मिक विवाह: अब भी एक टैबू?

 

: क्यों होती है ऐसी नफ़रत?

 

धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक प्रतिष्ठा का डर

 

समुदाय का दबाव और “इज़्ज़त” की मानसिकता

 

प्यार को पाप समझने की सोच

 

 

: क्या कहता है भारतीय कानून?

 

भारतीय संविधान Article 21 के तहत हर नागरिक को “Right to Life & Liberty” है।

 

Special Marriage Act, 1954 ऐसे विवाहों को मान्यता देता है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि वयस्कों की मर्ज़ी सर्वोपरि है।

 

 

 

 

मानवाधिकार संगठन क्या कह रहे हैं?

 

अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।

Amnesty International और Human Rights Watch जैसी संस्थाएं मांग कर रही हैं कि:

 

दोषी को सख्त सजा दी जाए

 

अंतरधार्मिक विवाह को लेकर समाज में जागरूकता फैलाई जाए

 

युवाओं की सुरक्षा के

लिए स्पेशल हेल्पलाइन बनाई जाए

 

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